Prem Kumar
मेरा
एक बहुत ही प्यारा चचेरा भाई है,नाम हम रख लेते हैं राघव.राघव पच्चीस बरस
का सुंदर, जवान, गोरा,गठीले बदन वालाखूबसूरत लड़का है.उसका कद लगभग साढ़े
पांच फीट है.कमर बत्तीस इंच, वजन अठावन किलो,शरीर गदराया हुआ. उसके होंठ
गुलाबी और पतले हैंमानो गुलाब की पंखुडियां.उसका पिछला भाग थोडा उभरा हुआ
है,जो निमंत्रण देता प्रतीत होता है हमेशा.छाती पर्याप्त चौड़ी और खूबसूरत
है.छाती पर काले काले बाल ऊपर गर्दन से लेकर पूरी छाती से होते हुए नीचे
वाले बालों में जा मिले हैं.गोरे शरीर पर काले बाल कितने सुंदर लग सकते हैं
ये देखना हो तो मेरे राघव को देख लो.सारा शरीर जैसे कोई खूबसूरत कविता कह
रहा हो.सर के लम्बे लम्बे बाल भी बहुत ही जंचते हैं राघव पर.आँखों पर
बढ़िया फ्रेम का चश्मा उसे इतना खूबसूरत बना देता है कि लोग अगर देखें तो
उससे नज़रें हटाने की हिम्मत नही कर सकते.चलता है तो गज़ब, बोलता है तो
कमाल और हँसता है तो क़यामत.दूर सेदेखो तो शाहिद कपूर और राघव दोनों में
अंतर करना असंभव है.मैं तो उसके सामने कुछ हैसियत ही नहीं रखता.मेरा कद
पांच फीट नौ इंच है, वज़न पैंसठ किलो, कमर इकत्तीस और सामान्य शरीर.रंग भी
मेरा साधारण ही है.हाँ मैं काला नही हूँ बस.मेरा चेहराभी सामान्य ही है.जिम
जाता हूँ सो बदन मेरा ठीक ठाक है.अभी अगस्त में तीस का हो जाऊंगा.मेरे और
राघव केबीच लगभग दस सालों से सेक्स सम्बन्ध चल रहे हैं.मगर हमने कभी एक
दूसरेकी गांड नहीं मारी थी.बस आपस में लिपटा चिपटी और एकदूसरे का चूसने के
बाद अब दूध भी पीना स्टार्ट कर दिया था.हमें घर पे तो बहुत ही कम वक्त
मिलता है क्योंकि मेरी शादी हो चुकी है. सो जब भी हमारा मन करता है तो हम
कहीं बाहर का प्लान बना लेते हैं. या तो कहीं घूमने चले जाते हैं या अपनी
किसी रिश्तेदारी में. मगर पिछले दो महीने से तो कोई प्रोग्राम बन ही नहीं
पा रहा था और इस बार मेरा इरादा भी गांड मारने और मरवाने का था.खैर जल्दी
ही हमे मौका मिल गया.बात अभी जून महीने की ही है. मैं लगभग 15 दिन से बीमार
चल रहा था.डॉ. ने कहीं बाहर आने-जाने से मना किया था.मगर मुझे या मेरी
पत्नी को मेरी बड़ी बहन के घर जाना था,बहुत ही जरूरी काम था.मैंने अपने
छोटे भाई कोअपनी पत्नी के साथ वहां भेज दिया और मैं घर पर ही रह गया.घर पर
सिर्फ पापा, मम्मी और मैं ही रह गये थे.सो मम्मी ने राघव को कहा के वो आज
रात मेरे पास ही रहे.राघव और हमारा घर थोड़ी दूरी पर ही है.राघव घर से खाना
खा कर रात लगभग नौ बजे मेरे पास आ गया.मैं भारत और वेस्ट इंडीज का दूसरा
वन डे देख रहा था.भाई ने थोड़ी देर कम्प्यूटर चलाया और जब नींद आने लगी तो
टी.वी. बंद करके हम सोने लगे.कूलर बड़ी ही ठंडी हवा दे रहा था.भाई ने बेड
में से कम्बल निकाल लिया और ओढ़ के सो गया.भाई के साथ एक मुश्किल ये है के
वो कभी भी खुद शुरुआत नही करता बल्कि मुझे जबरदस्ती उसे पटाना पड़ता है.
खैर जब काफी समय हो गया और मैंने देखा के भाई का तो कोई मूड ही नही है तो
हमेशा की तरह मैंने ही शुरुआत करी और अपना हाथ उसकी छाती पर रख दिया. मगर
उसने कोई जवाब नही दिया. मैं एक और हट के सोने की कोशिश करने लगा. लेकिन
भाई के पास लेटे होने के कारण मेरा दिल सेक्स के लिए मचल रहा था. मैं फिर
भाई की ओर घूम गया और उसे अपनी बाँहों में जकड़ लिया. आखिर वो मान गया और
मुझे अपने कम्बल में ला कर अपनी बाँहों को कसने लगा. बस फिर मैं शुरू हो
गया. थोडा वक्त उसके शरीर को सहलाया, उसके नितम्बों पर हाथ फेरा और फिर
उसकी टी.शर्ट निकाल दी. वो भी मेरे शरीर को गर्म करने लगा था.एक हाथ में
मेरी निक्कर के बाहर से मेरा लंड पकड़ लिया और दूसरे हाथ से मेरे नितम्ब
रगड़ने लगा. मैंने उसके लोवर में अंदर हाथ डालने से पहले बाहर से मुआयना
शुरू किया.मेरे राघव का लंड ज्यादा बड़ा नही है.लगभग चार-साढ़े चार इंच से
ज्यादा नहीं है.मोटा भी ठीक ठाक ही है. मगर उसका रंग गुलाबी है औरजब पूरी
तरह से तन जाता है तो बड़ासख्त जान हो जाता है. मैंने पहले इतनी बारउसका
लंड चूसा है कि गिनती भी नही याद.जब मैंनेबाहर से छुआ तो राघव एक दमकसमसा
उठा और जोर जोर सेमेरे लंड और नितम्बों को मसलने लगा.मेरा लंड तो लगभग सात
इंच लम्बा है और अगर एक धागा लेकर नापें तोपूरी मोटाई तक धागा लगभग चार इंच
हो जाता है. मेरा लंड सोलिड सीधा और खूबसूरत है बहुत. मुझे अपना लंड बड़ा
प्यारा लगता है.खैर राघव के लंड को बाहर से मसलने के बाद मैंने धीरे से
उसके लोवर में हाथ डाला तो उसने अपनेनितम्ब ऊपर उठा लिए ताकि मैं समझ जाऊं
कि वो लोवर निकलवाना चाहता है. उसके थोडा सा ऊपर उठाते ही मैंने उसका लोवर
और चड्ढी एक साथ नीचे खिसका दी और नीचे अपने पैरों के साथ खींच कर पूरी तरह
निकाल दीऔर एक पैर के साथ ऊपर ले आया औरअपने सिरहाने रख लिया. अब राघव
पूरा नंगा हो गया था.मगर मैंने अभी तक अपने कपड़े नहीं निकाले थे.राघव मेरे
लोवर के अंदर हाथ डाल के उसे निकालने की कोशिश कर रहा था मगर कुछ कह नही
रहा था.मैंने अपनी टी. शर्ट निकाल दी थी. मगर राघव अभी भी मेरी चड्ढी में
हाथ डालके उसे नीचे करने की कोशिशमें था.खैर मैंने उसे ज्यादा तडपाना ठीक
नहीं समझा और अपना लोवर निकाल दिया, साथ में अपनी चड्ढी भी.अब हम दोनों
निपट नंगे थे. राघव मुझसे कस के लिपट गया.मैंने भी उसे कस के अपनी बाहों
में जकड लिया था.अब मैंने उसकी छाती के गहरे काले बालों में अपना मुंह
चलाना शुरू कर दिया था. पहले मैंने उसके गले पर एक गहरा चुम्बन दिया औरफिर
धीरे-धीरे मैं नीचे उतरने लगा. उसके छाती के बालों से अपने होंठ छुआने का
मोह मैं कभी नहीं छोड़ पाता.मैंने गहरी गहरी साँसें लेकर उसके छाती के
बालों को सूंघना शुरू कर दिया. फिर उसकी बगल में मुंह डालकर सूंघा.....
आअह्ह...........क्या खूबसूरत महक थी.उसे याद करके अब भी लंड में आग लग
गयी.मैंने अपनी जीभ से उसके बगल के कटे हुए बालों को चाटना शुरू किया. राघव
तड़पने लगा. मैंने धीरे से उसके गुलाबी निप्पल्स पर अपने थरथराते होंठ रख
दिए. भाई ने उसके निप्पल्स पर मेरे होंठ छूते ही सिसकारी ली और मुझे इतना
कस के भींचा के मेरी सांस ही रुक गयी. जब मैं खाँसा तो भाई ने थोड़ी ढील
दी. मैंने काफी देर तक भाई के दोनों निप्पल्स चाटे, चूसे और खूब मसले. भाई
बीच बीच में अपने नितम्बों को ऊपर उठा लेता था. जैसे उसके शरीर में कोई लहर
उठ रही थी. मैं कभी कभी एक हाथ से उसके लंड को छू देता था तब भाई अचानक
चिंहुक उठता था. मैंने जी भर के भाई को चाटने के बाद नीचे का रुख किया और
उसकी नाभि को कुछ देर चूसा. फिर अपने होंठ नीचे ले गया और धीरे से भाई के
लंड से थोडा ऊपर अपनी जीभ छू दी. भाई मुड़ के इकठ्ठा हो गया.भाई ने नीचे के
बाल एक दम सफाचट बना रखे थे.अब मुझसे रहा नहीं गया और एक झटके से मैंने
भाई का गुलाबी रंग का छोटा सा फनफनाता हुआ नाग अपने मुंह में भर लिया. भाई
का लंड साइज़ में छोटा है इसलिए मैं हमेशा उसे पूरा मुंह में ले लेता हूँ.
जैसे ही मैंने मुंह में डाला भाई ने लहर खाते हुए एक झटके के साथ उसे मेरे
मुंह में और अंदर तक धकेल दिया. मोटा ज्यादा तो नहीं है मगर इतना है के अगर
मुंह में पूरा डालो तो साँस रुकजाए.सो मेरी साँस फूलने लगी मगर मेरा दिल
नहीं भराऔर मैं चूसता रहा. आखिर भाई ने देखा कि ज्यादा देरसे अंदर है सो
उसने एक बार के लिए बाहर निकाला, मैंनेसाँस ली और दोबारा से मुंहमें डाल
लिया. मैंने करीब बीस से पच्चीस मिनट तक भाईका जी भर के चूसा मगर भाई में
एक दिक्कत और है कि उसका बहुत देर में डिस्चार्ज होता है. कई बारतो मैं चूस
चूस के थक जाता हूँ मगर भाई का नहीं छूटता. भाई भी एक हाथ से मेरे लंड को
अपने पास खींचरहा था मगर मुझे समझ नहीं आ रहा था के वो क्या चाहता है.हम
दोनों भाइयों में एकदिक्कत ये भी है के हम सेक्स के दौरान कभी भी बातनहीं
करते क्योंकि हमें शर्म आती है. जब भाई ने कई बार मेरा लंड अपनी ओर खींचा
तो मुझे समझ आ गया वो क्या चाहता है. मैंने तुरंत अपनी पोजीशन बदली और अपना
लंड भाई के मुंह के आगे कर दिया.भाई ने बिना एक पल गंवाए मेरा चारइंच मोटा
ओर सात इंच लम्बाकाला दानव आधा अपने मुंह में ले लिया. फिर और जोर लगाया
और पूरा का पूरा लंडअपने मुंह में ले गया.मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच
गया. भाई ने मेरा और मैंने भाई का जी भर के चूसा. मेरा लंड ज्यादा बड़ा और
मोटा होने के कारण भाई को बहुत दिक्कत हो रही थी इसलिए मैंने सोचा बहुत हो
गया अबकुछ और किया जाये. भाई को मगर अभी मज़ा आ रहा था सो उसने मुझे छोड़ा
नहीं. काफी देर चूसा चूसी के बादजब हमारा मन भर गया तो मैंने दोबारा पोजीशन
बदली और वापस राघव को अपनेसामने किया. अब मैंने भाई के नितम्बों को दोबारा
सहलाना शुरू किया और अपनी एक ऊँगली उसकी गांड में घुसाने लगा. भाई उचक-उचक
के साथ देने लगा. कुछ देर में मैंने भाई को उल्टा लिटा लिया और उसके पूरे
शरीर को चूमने लगा, भाई का पूरा शरीर अंगड़ाई लेने लगा. मैंने अपने लंड से
उसकी गांड को छूना शुरू किया.जैसे ही मैंने अपना लंड भाई की गांड से छुआया
भाई ने अपने नितम्ब ऊपर उठा लिए. मैं समझ गया के भाई को अच्छा लगा. मैंने
धीरे से अपने लंड से दबायातो भाई ने भी साथ दिया. मगर मेरा
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