गाँव का डॉक्टर
एमबीबीएस की डिग्री मिलते ही मेरी पोस्टिंग उत्तर प्रदेश के एक गाँव में हो गयी. गाँववासियों ने आपने जीवन में गाँव में पहली बार कोई डॉक्टर देखा था. इसके पहले गाँव नीम हकीमों , ओझाओं और झाड़ फूँक करनेवालों के हवाले था. जल्द ही गाँव के लोग एक भगवान की तरह मेरी पूजा करने लग गये. रोज़ ही काफ़ी मरीज़ आते थे और मैं जल्दी ही गाँव कि ज़िंदगी मैं बड़ा महत्वपूर्ण समझा जाने लगा. गाँव वाले अब सलाह के लिए भी मेरे पास आने लगे. मैं भी किसी भी वक़्त मना नहीं करता था अपने मरीज़ों को आने के लिए.
गाँव के बाहर मेरा बंगला था. इसी बंगले में मेरी दिस्पेन्सरी भी थी. गाँव में साल भर गुज़ारने के बाद की बात होगी ये. इस गाँव में लड़के और आदमी बड़े मस्त थे. ऐसा ही एक बहुत ख़ूबसूरत बांका जवान था गाँव के मास्टरजी का लड़का. उसका नाम था अफ्नान . सच कहूँ तो मेरा भी दिल उसपर आ गया था पर होनी को कुछ और मंज़ूर था. उसकि शादी हो गई.
क़रीब क़रीब उनकि शादी के साल भर बाद एक दिन ठकुराइन मेरे घर पर आई. उसने मुझे कहा कि उसे बड़ी चिंता हो रही है कि बहू को कुछ बच्चा वच्चा नहीं हो रहा. उसने मुझसे पूछा कि क्या समस्या हो सकती है,लड़का बहू उसे कुछ बताते नहीं हैं और उसे शक है कि बहू कहीं बाँझ तो नहीं.
मैने उसे दिलासा दिया और कहा कि वो लड़का -बहू को मेरे पास भेज दे तो मैं देख लूंगा कि क्या समस्या है. उसने मुझसे आग्रह किया मैं ये बात गुप्त रखूं,घर कि इज़्ज़त का मामला है फिर एक रात क़रीब शाम को वे दोनो आए. अफ्नान और बहू. मुझे उस लड़की की किस्मत पर बड़ा रंज हुआ. वे धीरे धीरे अक्सर इलाज करवाने मेरे क्लिनिक पर आने लगे और साथ साथ मुझसे खुलते गये. अफ्नान बड़ा नरम दिल इंसान था. एक दिन उसने दबी ज़ुबान से स्वीकार किया कि अभी तक वो अपनी बीवी को चोद नहीं पाया है . मैं समझ गया कि क्यों बच्चा नहीं हो रहा है.जब अफ्नान अभी तक वर्गिन ही है तो, सहसा मेरे मन मैं एक ख़याल आया और मुझे मेरी दबी हुई हसरत पूरी करने का एक हसीं मौक़ा दिखा. सारी समयसा जानने के बाद मैने अपना जाल बिछाया. मैंने अफ्नान को अकेले घर पर बुला लिया.
बला का सेक्सी था वो .जवानी जैसे फूट फूट कर भरी थी. था. महीनों से कोई लड़का मेरे साथ नहीं सोया था. लंड था कि उसका बदन देखते ही खड़ा हो जाता था. दूसरी समस्या ये थी मेरे साथ कि मेरा लंड बहुत बड़ा है. जब वो पूरी तरह खड़ा होता है तो क़रीब ९ इंच लंबा होता है और उसका सुपाड़ा ऐसा हो जाता है जैसे कि एक लाल बड़ा सा टमाटर हो. और पत्थर की तरह कड़ा सीधा लंबा सा खीरे जैसा मोटा सा लंड!
अफ्नान मेरे सामने बैठा था. एक भरपूर नज़र मैने उसपर डाली. उसने नज़रें झुका ली.मैने बेरोक टोक उसके जिस्म को पनी नज़रों से तोला.मैंने कहा “तुम्हारे केस को समझने के लिए और इलाज के लिए मेरा सच जानना ज़रूरी है और अकेले मैं मुझे लगता है कि तुम सच सच बताओगे. मैं जो पूछूँ उसका ठीक ठीक जवाब देना.क्या तुम बाप बनने के काबिल ही नहीं हो?”
“डॉक्टर साहब. मुझमे कोई कमी नहीं. मैं बन सकता हूँ.”उसने कहा.
मैने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा. “अच्छा मैं सब ठीक कर दूँगा. अच्छा चलो यहाँ बिस्तर पर लेट जाओ. मुझे तुम्हारा चेकअप करना है ”
“क्या देखेंगे डॉक्टर साहब?”
” तुम्हारे बदन का इंस्पेक्शन तो करना होगा.”
वो लेट गया. मैने उसे कपडे उतारने में मदद की. एक खूबसूरत जिस्म मेरे सामने सिर्फ़ अंडरवीयर में था, लेटा हुआ वो भी मेरे बिस्तर पर .मेरे लंड मैं हलचल होने लगी.मैने उसका अंडरवीयर थोडा नीचे को सरकाया और अपना एक हाथ अन्दर डाला. एक उंगली से उसके लंड को सहलाया. वो सिसका और अपनी जाँघों से मेरे हाथ पर हल्का सा दबाव डाला. मैं उंगली उसकी गांड तक ले आया. मैने दरार पर उंगली घुमाने के बाद अचानक उंगली अन्दर घुसा दी. वो उछला.हलकी सी एक सिसकारी उसके होंठों से निकली.फिर मैने उंगली थोड़ी अन्दर बाहर की. वो तड़प रहा था. मेरी इस हरकत ने उसे थोड़ी गर्मी दे दी. इसी बीच एक उंगली से उसे चोदते हुए मैने बाक़ी उंगलियाँ उसके लंड से गांड के छेड़ तक के रास्ते पर फिरानी शुरू कर दी.
“कैसा महसूस हो रहा है?अच्छा लग रहा है?”
“हाँ डॉक्टर साहब.” उसकी आँखें लाल हो उठी.मैं समझ गया कि लाइन साफ़ है.मैंने अगला दांव चला.
“अच्छी तरह मुआयना करने के लिए तुम्हे ये बाल साफ़ करने होंगे. जाओ उधर बाथरूम मैं सब काट कर आओ. वहाँ रेज़र रखा है.”मैने अफ्नान के लंड को सहलाते हुए उसकी आँखों में आँखें डाल कहा.
“हाँ. डॉक्टर साहब.”अफ्नान ने धीरे से कहा.
वो गया और थोड़ी देर मैं वापस आ गया.
“हो गया? कहीं उस नाज़ुक जगह को काट तो नहीं बैठे हो?” मैने पूछा.
“जी जी कर दिया.मैने कई बार पहले भी वहाँ के बाल साफ़ किये हैं.”
“अच्छा आओ फिर यहाँ लेट जाओ.”
वो आया और लेट गया. मैने उसके अंडरवीयर को नीचे किया. उसकी कमर मुश्किल से २५-२८ इंच रही होगी और हिप्स क़रीब 37 इन.जांघें खूब मोटी और सेक्सी थी. गोलाई और मादकता,हलके हलके बाल,विशाल पुट्ठे..इस सुंदर कामुक दृश्य ने मेरा स्वागत किया. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. “डॉक्टर साहब. ये क्या कर रहे हैं? आप तो मुझे नंगा कर रहे हैं”
“अरे देख तो लूं तुमने बाल ठीक से साफ़ किए भी कि नहीं. और बाल काटने के बाद वहाँ पर एक क्रीम भी लगनी है”अब इससे पहले वो कुछ बोलता, मैने उसका अंडरवीयर घुटनों से नीचे तक खींच लिया था.
“तुम बहुत सेक्सी हो अफ्नान “. मैने थोड़े साहस के साथ कह डाला. यक़ीन मानिए मन कर रहा था कि अभी उसपर चढ़ जाऊं. वो पतला सपाट पेट. पतली सी कमर, वो विशाल छाती.सांचे में ढला था उसका बदन. भरपूर नज़रों से देखा मैने उसका बदन. उसने शरम के मारे अपनी आँखों पर हाथ रख लिया और तुरंत पेट के बल हो गया ताकि मैं उसका लंड न देख सकूँ. शायद लंड दिखाने मैं शर्मा रहा था.
“ज़रा पल्टो अफ्नान .शरम नहीं करते फिर तुम इतने सेक्सी हो कि तुम्हें तो आपने इस मस्त बदन पर गर्व होना चाहिए.” कहकर मैने उसके पुट्ठों पर हाथ रखा और बल पूर्वक उसे पलटा. दो खूबसूरत जाँघों बीच में वो मरदाना लंड चमक उठा.लंड फड़क सा रहा था. शायद उसने भाँप लिया था कि किसी मस्त से लंड को उसकी ठरक लग गई है.उसके लंड पर थोड़ी सी लाली भी छाई थी.
इधर मेरे लंड मैं भूचाल सा आ रहा था. और मेरे अंडरवीयर के लिए मेरे लंड को कंट्रोल में रखना मुश्किल सा हो रहा था. फिर भी मेरे टाईट अंडरवीयर ने मेरे लंड को छिपा रखा था. ब मैने उसके लंड पर अंगुलियाँ फिराई और पूछा”अफ्नान क्या मेरे हाथ से तुम्हे कुछ होता है?”
“हाँ डॉक्टर साहब ..” अब उसकी आवाज़ मैं एक नशा, एक मादकता सी आ गई थी.
“और कहाँ कहाँ छोने से कुछ कुछ होता है?”
“जी. यहाँ पर” उसने आपने निप्पलों कि तरफ़ इशारा किया.
मैं बिस्तर पर चढ़ गया मैने दोनो हथेलियाँ उसके दोनो निप्पलों पर रखी और उन्हें कामुक अंदाज़ से मसलना शुरू किया.
वो तड़पने लगा “डॉकटररर्र. स्साहहाब. क्या कर रहें है आप. यह कैसा इलाज आप कर रहे हैं?”
” कैसा लग रहा है अफ्नान ? मुझे अच्छी तरह से देखना होगा कि तुम्हारे शरीर में कोई कमी तो नहीं है…”
“बहुत अच्छा लग रहा है साहब. पर आप से यह सब करवाना क्या अच्छी बात है?”
” और दबाऊँ?”मैने अफ्नान की बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया और उसकी मस्त छाती दबानी जारी रखी.
“हाँ. आपका हल्के हल्के दबाना बहुत अच्छा लग रहा है”
मैने उसे कमर से पकड़ कर उठा लिया. वह क्या ख़ूबसूरत कामदेव था मेरे सामने एकदम नग्न.एकदम दूध की तरह गोरा.. मुझसे रुकना मुश्किल हो रहा था.
ब मैने उसके मुख को पकड़ उसके होंटों को चूसना शुरू कर दिया. इससे पहले वो कुछ समझ पाता उसके होंठ मेरे होंठो की जकड़ में थे. मेरे एक हाथ ने उसके पूरे बदन को मेरे शरीर से चिपटा लिया था. और दूसरे हाथ ने ज़बरदस्ती उसकी जगह बना कर उसकी गांड में उंगली डाल दी. उसके प्रोस्टेट पर मैने ज़बरदस्त मसाज़ की. उसके पुट्ठे उठने लगे थे. वो मतवाला हो उठा था.
” जाँच पड़ताल ख़तम हो गया क्या डॉक्टर साहब? आप और क्या क्या करेंगे मेरे साथ?”उसने पूछा.
अब मैं वही करूँगा जो एक जवान मर्द को, एक सुंदर सेक्सी जवान मर्द , जो बिस्तर पर नंगा पडा हो, के साथ करना चाहिए. ” मेरी उंगली जो अभी भी उसकी गांड में थी, ने अचानक एक जलजला सा महसूस किया. उसके लंड से प्री कम निकलने लगा था. मेरी उंगली पूरी भीग गई थी और रस लंड के बाहर बहकर जांघों को भी भिगो रहा था. मेरी बात सुनकर उसके बदन मैं एक तड़प सी हुई ,चूतड़ उपर को उठे और उसके मूँह से एक सिसकी भरी चीख निकल पड़ी.
मैंने उसके चूतड़ों को मसलना शुरू किया. मेरे मसलने से उसके चूतड़ कठोर होने लगे थे . उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़. क्या लगता था वो पनी पूरी नग्नता में उस सॉलिड छाती पर वो गोल छोटी चुचिया भी बहुत बेचैन कर रही थी मुझे. उसका पूरा बदन ब बुरी तरह तड़प रहा था. नशीले बदन पर पसीने की हलकी बूँदें भी उभर आई थी. मेरा लंड बहुत ही तूफ़ानी हो रहा था और ब उसके आज़ाद होने का वक़्त आ गया था.
“डॉक्टर साहब मुझे बहुत डर लग रहा है”उसने कहा.
” मुझ पर यक़ीन करो अफ्नान . ये एक मरद का वादा है तुझसे. मैं सब देख लूंगा. तेरा बदन तड़प रहा है अफ्नान . एक मरद के लिए तेरे लंड का बहता पानी. तेरे कसती हुई गांड साफ़ कह रहे हैं कि ब तुझे संभोग चाहिए.”
और हम दोनो फिर लिपट गये. मेरा लंड विशाल हो उठा. थोड़ी देर बाद मेरे हाथ मेरी कमीज़ के बटनो से खेल रहे थे. कमीज़ उतरी. फिर मेरी पेंट.अफ्नान मेरे बदन को घूर रहा था. मेरा अंडरवीयर इससे पहले कि फट जाता मैने उसे उतार डाला. और फिर ज्यों ही मैं सीधा हुआ, मेरे लंड ने अपनी पूरी खूबसूरती से अपने शिकार को पूरा तनकर उठकर सलाम किया.पूरी लंबाई और बड़े टमाटर जितने लाल सुपाड़े को देख अफ्नान घबरा गया.
” क्या हुआ अफ्नान ? ”
“साहब आपका ये लंड तो बहुत बड़ा और मोटा है..ब्ब्बापप्ररीए बाप. यह तो गधे के जैसा है ..नहीं यह तो मुझे चीर देगा. ”
“आओ अफ्नान . घबराओ मत. असली मोटे और मज़बूत लंड ही गांड को मज़ा दे पाते हैं .गौर से इसे छूकर देखो. इससे प्यार करो और फिर देखो ये तुम्हे कितना पागल कर देगा. ”
“डॉक्टर साहब. है तो बड़ा ही प्यारा. और बेहद सुंदर सा. मेरा तो देखते ही इसे चूमने का मान कर रहा है उुुफ़्फ़्फ़्फ़. कितना बड़ा है पर साहब ये मेरी गांड में कैसे घुस पाएगा इतना मोटा. मैं तो मर जाऊंगा.”
यही तो मर्द का संभोग कला कौशल होता है जान. गांड खोलना और उसे ढंग से चोदना हर मरद के बस की बात नहीं. वो भी तेरी गांड जैसी कुँवारी, क़रारी. तू डर मत. शुरू में थोडा सह लेना .बस फिर देखना तू चुदवाते चुदवाते थक जाएगा पर तेरा मन नहीं भरेगा. चल अब आ जा मेरी जान. अब और सहा नहीं जा रहा. मेरे लंड से खेलो मेरी जान.”
कह कर मैने उसे उठा लिया बाहों में और बिस्तर पर लिटा दिया. उसका लंड एकदम सॉलिड और बड़ा हो गया था.उसकी साँस ज़ोर ज़ोर से चल रही थी.
वो पेट के बल लेट गया.मैं बिस्तर पर चढ़ा और उसकी जाँघों पर बैठ गया.उसके चूतड़ के बीच मैने अपने लंबे खड़े लंड तो बिठा दिया और दोनो चूतड़ हथेली से दबा दिए. मेरा लंड चूतड़ के बीच में फंस गया. उंगलियों से मैं चूतड़ को मसलने लगा .इसके बाद मैंने उसे सीधा किया और उसके लंड पर अपनी गांड टिका के सहलाने लगा. फिर मैं अपना लंड उसके मुह के पास ले आया और दोनों हाथ पीछे ले जाके उसके निप्पल मसल दिए. उत्तेजना में आकर अफ्नान ने ज्यों ही चिल्लाने के लिए लिप्स खोले ही थे कि मेरे लंड का सुपाड़ा उसमे जाकर अटक गया और वो गो. गो. गू. गूओ. कि आवाज़ करने लगा.
मैने और ज़ोर लगाया उपर को तो लगभग आगे से 2 -3 इंच लंड उसके मुँह में घुस गया. थोड़ी देर की कशमकश के बाद उसका मुंह सेट हो गया. मेरे लंड ने स्पीड पकड़ ली . अफ्नान भी सुपाड़े को मस्त चूस रहा था. और शाफ़्ट अन्दर तक जा कर उसके गले तक हिट कर रहा था. अब मैं हल्का सा उठ कर आगे को सरका और मैने जितना संभव था लंड उसके मुँह में घुसा दिया. मेरी जाँघों के बीच कसा उसका पूरा बदन बिना पानी की मछली की तरह तड़प रहा था.
थोड़ी देर के बाद मैने लंड को निकाला और अब अफ्नान ने मेरे दोनो अण्डों के बराबर टेस्टीकलस को चाटना शुरू किया. बीच में वो पूरे एक फूट लंबे लंड पर अपनी जीभ फिराता तो कभी सूपदे को चूस लेता. थोड़ी देर के बाद मैने 69 कि पोजीशन ले ली तो उसे मेरे लंड और आस पास के एरिया की पूरी अक्सेस्स मिल गई.अब वो मेरे चूतड़ भी चाटने लगा .मैने भी गांड का छेद उसके मुँह पर रख दिया. उसने बड़े प्यार से मेरे चूतड़ों को हाथों में लिया और मेरी गांड के छेद पर जीभ से चाटा .इस बीच मैने भी उसकी गांड को अपनी जीभ से चाटा और चोदा.पर वाक़ई उसकी गांड बड़ी कसी थी,जीभ तक भी नहीं घुस पा रही थी उस में.एक बार तो मुझे भी लगा कि कहीं वो मर ना जाए मेरा लंड घुसते ही. फिर मैने उसे पलटा कर के उसके बड़े बड़े गोल गोल चूतड़ ,लंड और टट्टे भी चूसे और चाटे. अब अफ्नान बड़े ज़ोर ज़ोर से सिसकारी भर रहा था और बीच बीच में चिल्ला भी उठता था. वो मेरे लंड को दोनो हाथों से पकड़े हुए था और अब काफ़ी ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगा था. “डॉक्टर साहब. चोद दो मुझे. चढ़ जाओ मेरे उपर. घुसा दो डॉक्टर साहब. दया करो मेरे उपर. नहीं तो मैं मर जाऊंगा . चाहे मैं मर ही जाऊं पर अपना ये मोटा सा लोहे का रोड मेरे अन्दर डाल दो. देखो साहब मेरी गांड कैसी लाल हो गई है गरम होकर. इसकी आग ठंडी कर दो साहब अपने हथोड़े से. क्या मर्दाना मस्त लंड है डॉक्टर साहब आपका. कोई भी लड़का देखते ही मतवाला हो जाये..”
मेरा लंड भी अब कामुकता कि सारी हदें पार कर चुका था. मैं उसकी टांगों के बीच में बैठा और उसकी टांगों को हवा में पूरी खोल कर उठाया और फिर उसकी कमर पकड़ उसकी गांड पर अपने लौड़े को रखा और आहिस्ता से पर ज़रा कस कर दबाया. गांड इतनी लुब्रिकेटेद थी कि लंड का हेड तो घुस ही गया. ”
“आह. मरगगा. !! मैं मर गया. डॉकतूर्रर स्साहह्हहाआबबब.”
” घबराओ नहीं मेरी जान.”
और मैने लंड को हाथ से पकड़ थोडा और घुसाया. वो मुझे धक्का देने लगा. वो चिल्ला भी रहा था दर्द के मारे. तब मैने उसे ज़बरदस्ती नीचे पटक कर उसपर बैठ गया. अपने हाथों से उसके चूतड़ को मसलते मसलते आधे घुसे लंड को एक ज़बरदस्त शॉट मारा. वो इतनी ज़ोर से चीखा मानो किसी ने मार ही डाला हो. उसका शरीर भी तड़प उठा. और उसने मुझे कस कर जकड़ भी लिया था. मेरे लंड का क़रीब 7 इंच अन्दर घुसा हुआ था. थोड़ी देर बाद जब वो शांत हुआ तो बोला “डॉक्टर साहब मुझे छोड़ दो. मैं नहीं सह पाऊँगा आपका लंड. ”
मैने उसके होंटों पर अपने होंट रखे और एक ज़बरदस्त क़िस दिया .उसकी लंबी बाहों ने एक बार फिर मुझे लपेट लिया और उसकी टांगें भी मेरी टांगों से लिपट गयीं . जैसे ठीक से चुदने के लिए पोजीशन ले रहा हो. थोड़ी देर मैं जब मुझे लगा कि वो दर्द भूल गया है तो अचानक मैने लंड को थोडा सा बाहर निकलते हुए एक भरपूर शॉट मारा. लंड का ये प्रहार इतना शक्तिशाली था कि वो पस्त हो गया. एक और चीख के साथ एक हलकी सी आवाज़ के साथ उसकी गांड की सील आज टूट गई थी. और इस प्रहार से उसका ओर्गास्म भी हो गया. उसकी लंड से रस धार बह निकली और बुरी तरह हांफ़ रहा था.
अब अफ्नान कि गांड पूरी तरह खुल गई थी और मैं अभी तक नहीं झडा था. मैने ज़ोरदार धक्कों के साथ उसे चोदना शुरू किया. उसकी टाईट गांड की दीवारों से रगड़ ख़ाके मेरा लंड छिला जा रहा था. लेकिन मैं रुका नहीं और उसे बुरी तरह चोदता रहा. फिर मैने लंड उसकी गांड से खींच लिया और लंड एक आवाज़ के साथ बाहर आ गया मानो सोड़ा वाटर की बोतल खोली हो. फिर मैने उसे डोगी स्टाइल में कर दिया और पीछे से लंड उसकी गांड में डाल उसे चोदने लगा. अब अफ्नान भी मस्ती में आ गया और मुझे ज़ोर से चोदने के लिए उकसाने लगा. “चोदो मुझे. डॉक्टर साहब. फाड़ दो मेरी. डॉक्टर साहब. छोड़ना मत मुझे. बुरी तरह. फाड़ दो मुझे. और ज़ोर से चोद दो मुझे. मुझे ख़ूब चोदो साहब. और ज़ोर से और तेज़ी से चोदो साहब. ”
उस रात मैने अफ्नान को दो बार चोदा. दूसरे दिन दोपहर में ठकुराइन क्लिनिक में आई .मैने उसे बताया कि चेकअप हो गया है और शाम तक छोटा सा ऑपरेशन हो जाएगा. ठकुराइन संतुष्ट होकर वापस हवेली चली गयी.
आज रात अफ्नान ख़ुद उतावला था कि कब रात हो. उसे भी पता था कि कल उसे वापस हवेली चले जाना है और आज की रात ही बची है सच्चा मज़ा लूटने की.उसने आज मानो मैने चाहा वैसे करने दिया. एक दूसरे के अंगों को हम दोनों ख़ूब चूसे, प्यार किए सहलाए और जी भर के देखे. फिर मैने अफ्नान को तरह तरह से कई पोस में चोदा. अफ्नान बाद में भी बीच बीच में क्लिनिक में आता रहा.मैं उसे शाम के वक़्त बुलाता जब गाँव के मरीज़ नहीं होते. रात 8 – 9 बजे तक उसे रख उसकी ख़ूब चुदाई करता. अफ्नान भी ख़ूब मस्ती के साथ मुझसे चुद्ता.उसकी गांड को तो मेरे 10″ के लंड ने पहले ही भोसदा बना दिया था जहाँ अब लंड आराम से चला जाता. वह भी बहुत ख़ुश था कि उसकी गांड की खुजली रोज़ मिट जाती है.मैं तो ख़ुश था ही और अब किसी दूसरे अफ्नान की उम्मीद में अपना क्लिनिक चला रहा हूँ.
गाँव के बाहर मेरा बंगला था. इसी बंगले में मेरी दिस्पेन्सरी भी थी. गाँव में साल भर गुज़ारने के बाद की बात होगी ये. इस गाँव में लड़के और आदमी बड़े मस्त थे. ऐसा ही एक बहुत ख़ूबसूरत बांका जवान था गाँव के मास्टरजी का लड़का. उसका नाम था अफ्नान . सच कहूँ तो मेरा भी दिल उसपर आ गया था पर होनी को कुछ और मंज़ूर था. उसकि शादी हो गई.
क़रीब क़रीब उनकि शादी के साल भर बाद एक दिन ठकुराइन मेरे घर पर आई. उसने मुझे कहा कि उसे बड़ी चिंता हो रही है कि बहू को कुछ बच्चा वच्चा नहीं हो रहा. उसने मुझसे पूछा कि क्या समस्या हो सकती है,लड़का बहू उसे कुछ बताते नहीं हैं और उसे शक है कि बहू कहीं बाँझ तो नहीं.
मैने उसे दिलासा दिया और कहा कि वो लड़का -बहू को मेरे पास भेज दे तो मैं देख लूंगा कि क्या समस्या है. उसने मुझसे आग्रह किया मैं ये बात गुप्त रखूं,घर कि इज़्ज़त का मामला है फिर एक रात क़रीब शाम को वे दोनो आए. अफ्नान और बहू. मुझे उस लड़की की किस्मत पर बड़ा रंज हुआ. वे धीरे धीरे अक्सर इलाज करवाने मेरे क्लिनिक पर आने लगे और साथ साथ मुझसे खुलते गये. अफ्नान बड़ा नरम दिल इंसान था. एक दिन उसने दबी ज़ुबान से स्वीकार किया कि अभी तक वो अपनी बीवी को चोद नहीं पाया है . मैं समझ गया कि क्यों बच्चा नहीं हो रहा है.जब अफ्नान अभी तक वर्गिन ही है तो, सहसा मेरे मन मैं एक ख़याल आया और मुझे मेरी दबी हुई हसरत पूरी करने का एक हसीं मौक़ा दिखा. सारी समयसा जानने के बाद मैने अपना जाल बिछाया. मैंने अफ्नान को अकेले घर पर बुला लिया.
बला का सेक्सी था वो .जवानी जैसे फूट फूट कर भरी थी. था. महीनों से कोई लड़का मेरे साथ नहीं सोया था. लंड था कि उसका बदन देखते ही खड़ा हो जाता था. दूसरी समस्या ये थी मेरे साथ कि मेरा लंड बहुत बड़ा है. जब वो पूरी तरह खड़ा होता है तो क़रीब ९ इंच लंबा होता है और उसका सुपाड़ा ऐसा हो जाता है जैसे कि एक लाल बड़ा सा टमाटर हो. और पत्थर की तरह कड़ा सीधा लंबा सा खीरे जैसा मोटा सा लंड!
अफ्नान मेरे सामने बैठा था. एक भरपूर नज़र मैने उसपर डाली. उसने नज़रें झुका ली.मैने बेरोक टोक उसके जिस्म को पनी नज़रों से तोला.मैंने कहा “तुम्हारे केस को समझने के लिए और इलाज के लिए मेरा सच जानना ज़रूरी है और अकेले मैं मुझे लगता है कि तुम सच सच बताओगे. मैं जो पूछूँ उसका ठीक ठीक जवाब देना.क्या तुम बाप बनने के काबिल ही नहीं हो?”
“डॉक्टर साहब. मुझमे कोई कमी नहीं. मैं बन सकता हूँ.”उसने कहा.
मैने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा. “अच्छा मैं सब ठीक कर दूँगा. अच्छा चलो यहाँ बिस्तर पर लेट जाओ. मुझे तुम्हारा चेकअप करना है ”
“क्या देखेंगे डॉक्टर साहब?”
” तुम्हारे बदन का इंस्पेक्शन तो करना होगा.”
वो लेट गया. मैने उसे कपडे उतारने में मदद की. एक खूबसूरत जिस्म मेरे सामने सिर्फ़ अंडरवीयर में था, लेटा हुआ वो भी मेरे बिस्तर पर .मेरे लंड मैं हलचल होने लगी.मैने उसका अंडरवीयर थोडा नीचे को सरकाया और अपना एक हाथ अन्दर डाला. एक उंगली से उसके लंड को सहलाया. वो सिसका और अपनी जाँघों से मेरे हाथ पर हल्का सा दबाव डाला. मैं उंगली उसकी गांड तक ले आया. मैने दरार पर उंगली घुमाने के बाद अचानक उंगली अन्दर घुसा दी. वो उछला.हलकी सी एक सिसकारी उसके होंठों से निकली.फिर मैने उंगली थोड़ी अन्दर बाहर की. वो तड़प रहा था. मेरी इस हरकत ने उसे थोड़ी गर्मी दे दी. इसी बीच एक उंगली से उसे चोदते हुए मैने बाक़ी उंगलियाँ उसके लंड से गांड के छेड़ तक के रास्ते पर फिरानी शुरू कर दी.
“कैसा महसूस हो रहा है?अच्छा लग रहा है?”
“हाँ डॉक्टर साहब.” उसकी आँखें लाल हो उठी.मैं समझ गया कि लाइन साफ़ है.मैंने अगला दांव चला.
“अच्छी तरह मुआयना करने के लिए तुम्हे ये बाल साफ़ करने होंगे. जाओ उधर बाथरूम मैं सब काट कर आओ. वहाँ रेज़र रखा है.”मैने अफ्नान के लंड को सहलाते हुए उसकी आँखों में आँखें डाल कहा.
“हाँ. डॉक्टर साहब.”अफ्नान ने धीरे से कहा.
वो गया और थोड़ी देर मैं वापस आ गया.
“हो गया? कहीं उस नाज़ुक जगह को काट तो नहीं बैठे हो?” मैने पूछा.
“जी जी कर दिया.मैने कई बार पहले भी वहाँ के बाल साफ़ किये हैं.”
“अच्छा आओ फिर यहाँ लेट जाओ.”
वो आया और लेट गया. मैने उसके अंडरवीयर को नीचे किया. उसकी कमर मुश्किल से २५-२८ इंच रही होगी और हिप्स क़रीब 37 इन.जांघें खूब मोटी और सेक्सी थी. गोलाई और मादकता,हलके हलके बाल,विशाल पुट्ठे..इस सुंदर कामुक दृश्य ने मेरा स्वागत किया. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. “डॉक्टर साहब. ये क्या कर रहे हैं? आप तो मुझे नंगा कर रहे हैं”
“अरे देख तो लूं तुमने बाल ठीक से साफ़ किए भी कि नहीं. और बाल काटने के बाद वहाँ पर एक क्रीम भी लगनी है”अब इससे पहले वो कुछ बोलता, मैने उसका अंडरवीयर घुटनों से नीचे तक खींच लिया था.
“तुम बहुत सेक्सी हो अफ्नान “. मैने थोड़े साहस के साथ कह डाला. यक़ीन मानिए मन कर रहा था कि अभी उसपर चढ़ जाऊं. वो पतला सपाट पेट. पतली सी कमर, वो विशाल छाती.सांचे में ढला था उसका बदन. भरपूर नज़रों से देखा मैने उसका बदन. उसने शरम के मारे अपनी आँखों पर हाथ रख लिया और तुरंत पेट के बल हो गया ताकि मैं उसका लंड न देख सकूँ. शायद लंड दिखाने मैं शर्मा रहा था.
“ज़रा पल्टो अफ्नान .शरम नहीं करते फिर तुम इतने सेक्सी हो कि तुम्हें तो आपने इस मस्त बदन पर गर्व होना चाहिए.” कहकर मैने उसके पुट्ठों पर हाथ रखा और बल पूर्वक उसे पलटा. दो खूबसूरत जाँघों बीच में वो मरदाना लंड चमक उठा.लंड फड़क सा रहा था. शायद उसने भाँप लिया था कि किसी मस्त से लंड को उसकी ठरक लग गई है.उसके लंड पर थोड़ी सी लाली भी छाई थी.
इधर मेरे लंड मैं भूचाल सा आ रहा था. और मेरे अंडरवीयर के लिए मेरे लंड को कंट्रोल में रखना मुश्किल सा हो रहा था. फिर भी मेरे टाईट अंडरवीयर ने मेरे लंड को छिपा रखा था. ब मैने उसके लंड पर अंगुलियाँ फिराई और पूछा”अफ्नान क्या मेरे हाथ से तुम्हे कुछ होता है?”
“हाँ डॉक्टर साहब ..” अब उसकी आवाज़ मैं एक नशा, एक मादकता सी आ गई थी.
“और कहाँ कहाँ छोने से कुछ कुछ होता है?”
“जी. यहाँ पर” उसने आपने निप्पलों कि तरफ़ इशारा किया.
मैं बिस्तर पर चढ़ गया मैने दोनो हथेलियाँ उसके दोनो निप्पलों पर रखी और उन्हें कामुक अंदाज़ से मसलना शुरू किया.
वो तड़पने लगा “डॉकटररर्र. स्साहहाब. क्या कर रहें है आप. यह कैसा इलाज आप कर रहे हैं?”
” कैसा लग रहा है अफ्नान ? मुझे अच्छी तरह से देखना होगा कि तुम्हारे शरीर में कोई कमी तो नहीं है…”
“बहुत अच्छा लग रहा है साहब. पर आप से यह सब करवाना क्या अच्छी बात है?”
” और दबाऊँ?”मैने अफ्नान की बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया और उसकी मस्त छाती दबानी जारी रखी.
“हाँ. आपका हल्के हल्के दबाना बहुत अच्छा लग रहा है”
मैने उसे कमर से पकड़ कर उठा लिया. वह क्या ख़ूबसूरत कामदेव था मेरे सामने एकदम नग्न.एकदम दूध की तरह गोरा.. मुझसे रुकना मुश्किल हो रहा था.
ब मैने उसके मुख को पकड़ उसके होंटों को चूसना शुरू कर दिया. इससे पहले वो कुछ समझ पाता उसके होंठ मेरे होंठो की जकड़ में थे. मेरे एक हाथ ने उसके पूरे बदन को मेरे शरीर से चिपटा लिया था. और दूसरे हाथ ने ज़बरदस्ती उसकी जगह बना कर उसकी गांड में उंगली डाल दी. उसके प्रोस्टेट पर मैने ज़बरदस्त मसाज़ की. उसके पुट्ठे उठने लगे थे. वो मतवाला हो उठा था.
” जाँच पड़ताल ख़तम हो गया क्या डॉक्टर साहब? आप और क्या क्या करेंगे मेरे साथ?”उसने पूछा.
अब मैं वही करूँगा जो एक जवान मर्द को, एक सुंदर सेक्सी जवान मर्द , जो बिस्तर पर नंगा पडा हो, के साथ करना चाहिए. ” मेरी उंगली जो अभी भी उसकी गांड में थी, ने अचानक एक जलजला सा महसूस किया. उसके लंड से प्री कम निकलने लगा था. मेरी उंगली पूरी भीग गई थी और रस लंड के बाहर बहकर जांघों को भी भिगो रहा था. मेरी बात सुनकर उसके बदन मैं एक तड़प सी हुई ,चूतड़ उपर को उठे और उसके मूँह से एक सिसकी भरी चीख निकल पड़ी.
मैंने उसके चूतड़ों को मसलना शुरू किया. मेरे मसलने से उसके चूतड़ कठोर होने लगे थे . उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़. क्या लगता था वो पनी पूरी नग्नता में उस सॉलिड छाती पर वो गोल छोटी चुचिया भी बहुत बेचैन कर रही थी मुझे. उसका पूरा बदन ब बुरी तरह तड़प रहा था. नशीले बदन पर पसीने की हलकी बूँदें भी उभर आई थी. मेरा लंड बहुत ही तूफ़ानी हो रहा था और ब उसके आज़ाद होने का वक़्त आ गया था.
“डॉक्टर साहब मुझे बहुत डर लग रहा है”उसने कहा.
” मुझ पर यक़ीन करो अफ्नान . ये एक मरद का वादा है तुझसे. मैं सब देख लूंगा. तेरा बदन तड़प रहा है अफ्नान . एक मरद के लिए तेरे लंड का बहता पानी. तेरे कसती हुई गांड साफ़ कह रहे हैं कि ब तुझे संभोग चाहिए.”
और हम दोनो फिर लिपट गये. मेरा लंड विशाल हो उठा. थोड़ी देर बाद मेरे हाथ मेरी कमीज़ के बटनो से खेल रहे थे. कमीज़ उतरी. फिर मेरी पेंट.अफ्नान मेरे बदन को घूर रहा था. मेरा अंडरवीयर इससे पहले कि फट जाता मैने उसे उतार डाला. और फिर ज्यों ही मैं सीधा हुआ, मेरे लंड ने अपनी पूरी खूबसूरती से अपने शिकार को पूरा तनकर उठकर सलाम किया.पूरी लंबाई और बड़े टमाटर जितने लाल सुपाड़े को देख अफ्नान घबरा गया.
” क्या हुआ अफ्नान ? ”
“साहब आपका ये लंड तो बहुत बड़ा और मोटा है..ब्ब्बापप्ररीए बाप. यह तो गधे के जैसा है ..नहीं यह तो मुझे चीर देगा. ”
“आओ अफ्नान . घबराओ मत. असली मोटे और मज़बूत लंड ही गांड को मज़ा दे पाते हैं .गौर से इसे छूकर देखो. इससे प्यार करो और फिर देखो ये तुम्हे कितना पागल कर देगा. ”
“डॉक्टर साहब. है तो बड़ा ही प्यारा. और बेहद सुंदर सा. मेरा तो देखते ही इसे चूमने का मान कर रहा है उुुफ़्फ़्फ़्फ़. कितना बड़ा है पर साहब ये मेरी गांड में कैसे घुस पाएगा इतना मोटा. मैं तो मर जाऊंगा.”
यही तो मर्द का संभोग कला कौशल होता है जान. गांड खोलना और उसे ढंग से चोदना हर मरद के बस की बात नहीं. वो भी तेरी गांड जैसी कुँवारी, क़रारी. तू डर मत. शुरू में थोडा सह लेना .बस फिर देखना तू चुदवाते चुदवाते थक जाएगा पर तेरा मन नहीं भरेगा. चल अब आ जा मेरी जान. अब और सहा नहीं जा रहा. मेरे लंड से खेलो मेरी जान.”
कह कर मैने उसे उठा लिया बाहों में और बिस्तर पर लिटा दिया. उसका लंड एकदम सॉलिड और बड़ा हो गया था.उसकी साँस ज़ोर ज़ोर से चल रही थी.
वो पेट के बल लेट गया.मैं बिस्तर पर चढ़ा और उसकी जाँघों पर बैठ गया.उसके चूतड़ के बीच मैने अपने लंबे खड़े लंड तो बिठा दिया और दोनो चूतड़ हथेली से दबा दिए. मेरा लंड चूतड़ के बीच में फंस गया. उंगलियों से मैं चूतड़ को मसलने लगा .इसके बाद मैंने उसे सीधा किया और उसके लंड पर अपनी गांड टिका के सहलाने लगा. फिर मैं अपना लंड उसके मुह के पास ले आया और दोनों हाथ पीछे ले जाके उसके निप्पल मसल दिए. उत्तेजना में आकर अफ्नान ने ज्यों ही चिल्लाने के लिए लिप्स खोले ही थे कि मेरे लंड का सुपाड़ा उसमे जाकर अटक गया और वो गो. गो. गू. गूओ. कि आवाज़ करने लगा.
मैने और ज़ोर लगाया उपर को तो लगभग आगे से 2 -3 इंच लंड उसके मुँह में घुस गया. थोड़ी देर की कशमकश के बाद उसका मुंह सेट हो गया. मेरे लंड ने स्पीड पकड़ ली . अफ्नान भी सुपाड़े को मस्त चूस रहा था. और शाफ़्ट अन्दर तक जा कर उसके गले तक हिट कर रहा था. अब मैं हल्का सा उठ कर आगे को सरका और मैने जितना संभव था लंड उसके मुँह में घुसा दिया. मेरी जाँघों के बीच कसा उसका पूरा बदन बिना पानी की मछली की तरह तड़प रहा था.
थोड़ी देर के बाद मैने लंड को निकाला और अब अफ्नान ने मेरे दोनो अण्डों के बराबर टेस्टीकलस को चाटना शुरू किया. बीच में वो पूरे एक फूट लंबे लंड पर अपनी जीभ फिराता तो कभी सूपदे को चूस लेता. थोड़ी देर के बाद मैने 69 कि पोजीशन ले ली तो उसे मेरे लंड और आस पास के एरिया की पूरी अक्सेस्स मिल गई.अब वो मेरे चूतड़ भी चाटने लगा .मैने भी गांड का छेद उसके मुँह पर रख दिया. उसने बड़े प्यार से मेरे चूतड़ों को हाथों में लिया और मेरी गांड के छेद पर जीभ से चाटा .इस बीच मैने भी उसकी गांड को अपनी जीभ से चाटा और चोदा.पर वाक़ई उसकी गांड बड़ी कसी थी,जीभ तक भी नहीं घुस पा रही थी उस में.एक बार तो मुझे भी लगा कि कहीं वो मर ना जाए मेरा लंड घुसते ही. फिर मैने उसे पलटा कर के उसके बड़े बड़े गोल गोल चूतड़ ,लंड और टट्टे भी चूसे और चाटे. अब अफ्नान बड़े ज़ोर ज़ोर से सिसकारी भर रहा था और बीच बीच में चिल्ला भी उठता था. वो मेरे लंड को दोनो हाथों से पकड़े हुए था और अब काफ़ी ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगा था. “डॉक्टर साहब. चोद दो मुझे. चढ़ जाओ मेरे उपर. घुसा दो डॉक्टर साहब. दया करो मेरे उपर. नहीं तो मैं मर जाऊंगा . चाहे मैं मर ही जाऊं पर अपना ये मोटा सा लोहे का रोड मेरे अन्दर डाल दो. देखो साहब मेरी गांड कैसी लाल हो गई है गरम होकर. इसकी आग ठंडी कर दो साहब अपने हथोड़े से. क्या मर्दाना मस्त लंड है डॉक्टर साहब आपका. कोई भी लड़का देखते ही मतवाला हो जाये..”
मेरा लंड भी अब कामुकता कि सारी हदें पार कर चुका था. मैं उसकी टांगों के बीच में बैठा और उसकी टांगों को हवा में पूरी खोल कर उठाया और फिर उसकी कमर पकड़ उसकी गांड पर अपने लौड़े को रखा और आहिस्ता से पर ज़रा कस कर दबाया. गांड इतनी लुब्रिकेटेद थी कि लंड का हेड तो घुस ही गया. ”
“आह. मरगगा. !! मैं मर गया. डॉकतूर्रर स्साहह्हहाआबबब.”
” घबराओ नहीं मेरी जान.”
और मैने लंड को हाथ से पकड़ थोडा और घुसाया. वो मुझे धक्का देने लगा. वो चिल्ला भी रहा था दर्द के मारे. तब मैने उसे ज़बरदस्ती नीचे पटक कर उसपर बैठ गया. अपने हाथों से उसके चूतड़ को मसलते मसलते आधे घुसे लंड को एक ज़बरदस्त शॉट मारा. वो इतनी ज़ोर से चीखा मानो किसी ने मार ही डाला हो. उसका शरीर भी तड़प उठा. और उसने मुझे कस कर जकड़ भी लिया था. मेरे लंड का क़रीब 7 इंच अन्दर घुसा हुआ था. थोड़ी देर बाद जब वो शांत हुआ तो बोला “डॉक्टर साहब मुझे छोड़ दो. मैं नहीं सह पाऊँगा आपका लंड. ”
मैने उसके होंटों पर अपने होंट रखे और एक ज़बरदस्त क़िस दिया .उसकी लंबी बाहों ने एक बार फिर मुझे लपेट लिया और उसकी टांगें भी मेरी टांगों से लिपट गयीं . जैसे ठीक से चुदने के लिए पोजीशन ले रहा हो. थोड़ी देर मैं जब मुझे लगा कि वो दर्द भूल गया है तो अचानक मैने लंड को थोडा सा बाहर निकलते हुए एक भरपूर शॉट मारा. लंड का ये प्रहार इतना शक्तिशाली था कि वो पस्त हो गया. एक और चीख के साथ एक हलकी सी आवाज़ के साथ उसकी गांड की सील आज टूट गई थी. और इस प्रहार से उसका ओर्गास्म भी हो गया. उसकी लंड से रस धार बह निकली और बुरी तरह हांफ़ रहा था.
अब अफ्नान कि गांड पूरी तरह खुल गई थी और मैं अभी तक नहीं झडा था. मैने ज़ोरदार धक्कों के साथ उसे चोदना शुरू किया. उसकी टाईट गांड की दीवारों से रगड़ ख़ाके मेरा लंड छिला जा रहा था. लेकिन मैं रुका नहीं और उसे बुरी तरह चोदता रहा. फिर मैने लंड उसकी गांड से खींच लिया और लंड एक आवाज़ के साथ बाहर आ गया मानो सोड़ा वाटर की बोतल खोली हो. फिर मैने उसे डोगी स्टाइल में कर दिया और पीछे से लंड उसकी गांड में डाल उसे चोदने लगा. अब अफ्नान भी मस्ती में आ गया और मुझे ज़ोर से चोदने के लिए उकसाने लगा. “चोदो मुझे. डॉक्टर साहब. फाड़ दो मेरी. डॉक्टर साहब. छोड़ना मत मुझे. बुरी तरह. फाड़ दो मुझे. और ज़ोर से चोद दो मुझे. मुझे ख़ूब चोदो साहब. और ज़ोर से और तेज़ी से चोदो साहब. ”
उस रात मैने अफ्नान को दो बार चोदा. दूसरे दिन दोपहर में ठकुराइन क्लिनिक में आई .मैने उसे बताया कि चेकअप हो गया है और शाम तक छोटा सा ऑपरेशन हो जाएगा. ठकुराइन संतुष्ट होकर वापस हवेली चली गयी.
आज रात अफ्नान ख़ुद उतावला था कि कब रात हो. उसे भी पता था कि कल उसे वापस हवेली चले जाना है और आज की रात ही बची है सच्चा मज़ा लूटने की.उसने आज मानो मैने चाहा वैसे करने दिया. एक दूसरे के अंगों को हम दोनों ख़ूब चूसे, प्यार किए सहलाए और जी भर के देखे. फिर मैने अफ्नान को तरह तरह से कई पोस में चोदा. अफ्नान बाद में भी बीच बीच में क्लिनिक में आता रहा.मैं उसे शाम के वक़्त बुलाता जब गाँव के मरीज़ नहीं होते. रात 8 – 9 बजे तक उसे रख उसकी ख़ूब चुदाई करता. अफ्नान भी ख़ूब मस्ती के साथ मुझसे चुद्ता.उसकी गांड को तो मेरे 10″ के लंड ने पहले ही भोसदा बना दिया था जहाँ अब लंड आराम से चला जाता. वह भी बहुत ख़ुश था कि उसकी गांड की खुजली रोज़ मिट जाती है.मैं तो ख़ुश था ही और अब किसी दूसरे अफ्नान की उम्मीद में अपना क्लिनिक चला रहा हूँ.